रेलवे में काम करने वाले मेरी बात एक सम्माननीय टीटी महोदय और उनकी श्रीमती जी से हुई। हालांकि, अब वो रिटायर हो चुके हैं। बातचीत के क्रम में उनके सामने आने वाले चुनौतियों को, परेशानियों को, और उन परेशानियों को अपने वास्तविक जीवन में उतार लेने की घटना को बहुत ही निकट से समझे हैं। वैसे भी वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप चलने की जद्दोजहद को ही जिंदादिल कहा जाता है। टीटी महोदय से ज्यादा उनके कार्य तथा कार्यकाल का व्याख्या उनकी श्रीमती जी ने किया। पत्नियां अक्सर अनुभवी हुआ करतीं हैं। उनकी पत्नी द्वारा की गई व्याख्या को हम जहां तक समझ पाए हैं, कोशिश है कि उस से कहीं अधिक आपको समझा दिया जाय।
कविता के रूप में अनुभव को साझा किया जा रहा है।
वास्तविकता से परिचय हो जाए तो नीचे कॉमेंट बॉक्स में आपके डिजिटल लेखनी से निकला विचार अपेक्षित है। कॉमेंट अवश्य कीजियेगा। Alpha’s SHOWSTYLE

35 साल रेलवे में टीटी की नौकरी करने के बाद रिटायर हुए।
बस फिर क्या था, घर पर ही अब रहने लगे।
एक महीने बाद ही पत्नी ने पति से कहा कि डाक्टर के पास जाना है…
उम्र हो चला है, तकलीफ भी रहती है, मुझे थोड़ा सा चेकअप कराना है।
शाम में पत्नी को डाक्टर के पास ले जाकर पति ने कहा जाइए, दिखाईये…
उसने रोनी सी सूरत बनाकर कहा, पहले आप आगे तो आईये…
मेरा तो कुछ भी नहीं, बस बहाना था।
दरअसल, आपको ही दिखाना था।
डाक्टर साहब,
ये पिछले 35 साल रेलवे में टीटी रहे…
सप्ताह में केवल दो दिनों के लिये घर आते थे, बाकी दिन बाहर रहते थे।
लगातार “रेल यात्रा के मंगलमय वातावरण” को सहते थे।
अब रिटायरमेंट के बाद घर आते ही कमाल कर दिया है।
छह फीट लंबे-चौड़े पलंग को काट कर दो-दो फीट का बना दिया है।
अटैची को कड़ी से बांध कर ताला लगाते हैं।
तकिये में हवा भरते हैं और चप्पलें सिरहाने रखते हैं।
कमरे का ट्यूब लाइट अलग हटा दिया है।
और
उसकी जगह जीरो वाट का बल्ब लगा दिया है।
टेप रिकॉर्डर से फिल्मी गानों का कैसेट निकाल कर…
रेल्वे एनाउंसमेंट…
गाड़ी चलने की ध्वनि…
घंटी की घनघनाहट…
और
गरम चा…
अय समोसा… अय नारियले…
लाय लड्डू रामदाना
आदि, वाली कर्कश आवाज का कैसेट लगाते हैं।
मूंगफली के छिलके, और बीड़ी सिगरेट के टुकड़े पलंग के चारों ओर फैलाते हैं।
मैं तो रात भर जागती हूँ।
और ये आराम से सो जाते हैं।
पता नहीं कैसी जिंदगी जीते हैं।
कप में चाय दो, तो कुल्हड़ में पीते हैं।
एक रात मेहमान आये तो मैंने इन्हें जगाया।
इन्होने करवट बदली और मेरे हाथ में टिकट और सौ रुपये का नोट थमाया।
मैने कहा ये क्या है, तो बोले रसीद नहीं बनाना।
दरभंगा आये तो ख्याल से उठाना।
पिताजी से दहेज में मिला सोफासेट आधे दामों में बेच आये हैं।
बदले में दो अलग अलग साइज़ वाली सीमेंट की ब्रेंच खरीद लाये हैं।
बेडरूम में लगी पेंटिग्स को अलग कर दिया है।
उनकी जगह…
भारतीय रेल आपकी अपनी सम्पत्ति है।
जंजीर खींचना मना है।
खिड़की के पास आपातकालीन द्वार।
आदि, लिखवा दिया है।
एक रात इनके पास आकर बैठी, मैंने कहा… अजी सुनिए…
इन्होने पांव मोड़े, और कहा आइए-आइए, आराम से बैठिये…
डाक्टर साहब, बताने में शर्म आती है, पर आपसे क्या छिपाना है।
इन्होने तो मुझसे ये भी पूछा कि “बहन जी, आपको कहाँ जाना है।“
डायनिंग टेबिल पर खाना खाने से मना करते हैं।
पूड़ियां मिठाई के डिब्बे में, और सब्जी को प्लास्टिक की थैली में भरते हैं।
एक रात मेरे भाई और पिताजी आए।
दोनों इनकी हरकत से बहुत लजाए।
रात में भाई ने इनकी अटैची जरा सी खिसकाई…
ये गुस्से में बोले, जंजीर खींचू? चोरी करते तुम्हें शर्म नहीं आई???
सुबह-सुबह बूढ़े पिताजी जल्दी उठ कर नहाने जा रहे थे।
ये बालकनी से लगी खिड़की के पास ही सो रहे थे।
उन्होंने खिड़की से हाथ डाल कर इन्हें जगाया।
इन्होने गुस्से में कहा, इस तरह से मत जगाओ…
यहाँ कुछ नहीं मिलेगा बाबा…
आगे जाओ…
पिताजी आगे गये तो उन्हें वापस बुलाया।
उन्हें एक रुपये का सिक्का दिया, और पूछा कौन सा स्टेशन आया.???
इनका अजीब कारनामा है।
एक पर एक हंगामा है।
अभी कबाड़ी के यहाँ से एक पुराना टेबिल फैन मंगवाया।
छत में लटके अच्छे खासे सीलिंग फैन को उतार कर उसकी जगह टेबिल फैन लटकाया।
उसे चालू करने का भी विचित्र तरीका अपनाते हैं।
जेब से कभी कंघी तो कभी कलम निकाल कर पंखा घुमाते हैं।
सुबह मंजन ब्रश साबुन निकाल कर बाथरूम की ओर जाते हैं।
मैं कहतीं हूँ बेटा गया है, तो वहीं लाइन लगाते हैं।
समझाती हूँ कि आ जाओ, तो रोकते हैं।
हर दो मिनट के बाद बाथरूम का दरवाजा ठोकते हैं।
इन्होने पूरे घर को सिर पर उठा लिया है।
घर को वेटिंग रूम और बैडरूम को ट्रेन का कम्पार्टमेंट बना दिया है।
इनके साथ बाकी जिंदगी कैसे कटेगी, हम यह सोच कर डरते हैं।
और
ये सात जनम तक इसी तरह साथ निभाने की बात करते हैं।
हम तो एक ही जनम में खूब पछताये…
भगवान किसी “युवती” को रेलवे के “टीटी की पत्नी” न बनाये…
===
हम जानते हैं, आपके चेहरे पर मुस्कान आ गया है।
क्योंकि, परिचय आपका वास्तविकता से हो गया है।
===
नीचे कॉमेंट और शेयर करना ना भूलें।

बहुत बढ़िया प्रस्तुति ।
This is the reality
बिल्कुल सही
व्यक्ति अपना पेशा से इतना प्यार करने लगता है कि वह मरते दम तक उसी यादो में रहना चाहता है